The baglamukhi shabar mantra Diaries
The baglamukhi shabar mantra Diaries
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भगवती बगला के अनेक ‘ ध्यान’ मिलते हैं। ‘तन्त्रों’ में विशेष कार्यों के लिए विशेष प्रकार के ‘ध्यानों’ का वर्णन हुआ है। यहाँ कुछ ध्यानों का एक संग्रह दिया जा रहा है। आशा है कि बगलोपासकों के लिए यह संग्रह विशेष उपयोगी सिद्ध होगा, वे इसे कण्ठस्थ अर्थात् याद करके विशेष अनुभूतियों को प्राप्त करेंगे। चतुर्भुजी बगला
पाठीन-नेत्रां परिपूर्ण-गात्रां, पञ्चेन्द्रिय-स्तम्भन-चित्त-रूपां ।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
Devi Baglamukhi Mahavidya can be a stambhana vidya, wherever stambhana suggests restraining or arresting or building a little something motionless
Meaning: The seed audio refers to the Electricity of abundance and prosperity, and the seem on the Power of divine grace and spiritual electricity. In addition it addresses Lakshmi given that the just one who resides in the lotus.
ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।
Also, as a way to get The full vibe and the proper Power of your Baglamukhi mantras, it ought to be done in a proper manner. The early morning is the greatest time for chanting the mantras.
विश्वेश्वरीं विश्व-वन्द्यां, विश्वानन्द-स्वरूपिणीम् ।
Just after presenting the ‘Bhog’, Permit her sit for a while and pray as check here part of your coronary heart. "O Mother, our enemies are tormenting us, bless us and safeguard us from our enemies and punish them".
Chant the mantras the desired number of situations in front of the statue or the image with the goddess on a daily basis.
> इस परिशिष्ट में जिन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, वे लोक- परम्परा से
oṃ hrīṃ bagalāmukhi! jagadvaśaṃkarī! māṃ bagale prasīda-prasīda mama sarva manorathāna pūraya-pūraya hrīṃ oṃ svāhā।
गदाहत – विपक्षकां कलित – लोल-जिह्वाञ्चलां ।
भ्राम्यद्-गदां कर-निपीडित-वैरि-जिह्वाम् । पीताम्बरां कनक-माल्य-वतीं नमामि ।।